पापोदय को शांत करने/शांति पाने के लिये –
1. अपाय-विचय = करणानुयोगानुसार
2. उपाय-विचय = चरणानुयोगानुसार
मुनि श्री सुधासागर जी
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अपाय विचय का मतलब संसारी जीव मिथ्यामार्ग कैसे फंसा , उसके लिए चिंतन करना अथवा जिनेन्द्र भगवान के द्वारा बताए गये सन्मार्ग का चिंतन करना,यह सब करुणानुयोग शास्त्र में उपलब्ध रहता है।इसी प्रकार उपाय विचय के लिए चरणानुयोगनुसार में उपलब्ध है, जिसमें मुख्य रुप से ग़हस्थो ओर मुनियों के व़त, नियम और संयम का वर्णन किया गया है, इसमें जीव पाप कर्म छोड़कर धर्म में लगाना और कषाय को मंद करता है।
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अपाय विचय का मतलब संसारी जीव मिथ्यामार्ग कैसे फंसा , उसके लिए चिंतन करना अथवा जिनेन्द्र भगवान के द्वारा बताए गये सन्मार्ग का चिंतन करना,यह सब करुणानुयोग शास्त्र में उपलब्ध रहता है।इसी प्रकार उपाय विचय के लिए चरणानुयोगनुसार में उपलब्ध है, जिसमें मुख्य रुप से ग़हस्थो ओर मुनियों के व़त, नियम और संयम का वर्णन किया गया है, इसमें जीव पाप कर्म छोड़कर धर्म में लगाना और कषाय को मंद करता है।