पुण्य प्रकृति – 42 (सातादि + 37 नामकर्म की)।
पाप प्रकृति – 82 लगभग डबल, इसीलिये सबल हैं।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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4 Responses
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने पाप एवं पुण्य प़कृति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पाप प़कृति से बचाओ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने पाप एवं पुण्य प़कृति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पाप प़कृति से बचाओ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
‘सातादि’ ki kya 5 prakrati hain ? If so, kaun-kaunsi hain ? Clarify karenge, please ?
आयु 3 + उच्च गोत्र + साता = 5
Okay.