चोरी* करने की अनुकूलता/ कर पाना/ सफलता मिलना पुण्योदय से।
चोरी करने में पाप-बंध।
फल ?
पापोदय जैसे असाध्य रोग/ दुर्गति/ गरीबी आदि।
आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी
* ऐसे ही अन्य पाप क्रियाओं में लगाना।
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने पुण्य एवं पाप को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए पापों का त्याग करना परम आवश्यक है। जबकि पुण्य को अर्जित करने का प़यास करना चाहिए।
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने पुण्य एवं पाप को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए पापों का त्याग करना परम आवश्यक है। जबकि पुण्य को अर्जित करने का प़यास करना चाहिए।