पुण्य-फल

“पुण्य फला अरहंता” प्रथमानुयोग में नहीं, प्रवचन-सार में लिखा है।
अंतर्मुहूर्त तक यदि साता का बंध बिना प्रमाद के हो जाय तो केवलज्ञान हो जायेगा।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

Share this on...

3 Responses

  1. ‘अंतर्मुहूर्त तक यदि साता का बंध बिना प्रमाद के हो जाय तो केवलज्ञान हो जायेगा।’ Can meaning of this line be explained, please ?

    1. साता जब अंतरमुहूर्त तक बनी रहेगी तब तक संकल्प/ विकल्प रहित अवस्था बनी रहेगी/ ध्यान एकाग्र रहेगा जो केवलज्ञान में कारण बनेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

October 19, 2022

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930