पूजा + जाप = विधान
मंडल (बीजाक्षर) सहित = मंडल विधान
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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पूजा का मतलब पंच परमेष्ठी के गुणो का चिन्तवन करना होता है जो कि अष्ट द़व्य से की जाती है।पूजा के साथ जाप करना ही विधान कहलाता है।अतः जो विधान मंडल के साथ किया जाता है ,उसको ही मंडल विधान कहते हैं।जीवन में पूजा, विधान तो करते रहते हैं लेकिन विधान मंडल यानी बीजाक्षर के साथ अवश्य करना चाहिए जिसके कारण कर्मो की निर्जरा होती है और पुण्य की प़ाप्ती होती है।अतः जीवन में सिद्वचक़ विधान अवश्य करना चाहिए वह भी मंडल विधान के साथ।
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पूजा का मतलब पंच परमेष्ठी के गुणो का चिन्तवन करना होता है जो कि अष्ट द़व्य से की जाती है।पूजा के साथ जाप करना ही विधान कहलाता है।अतः जो विधान मंडल के साथ किया जाता है ,उसको ही मंडल विधान कहते हैं।जीवन में पूजा, विधान तो करते रहते हैं लेकिन विधान मंडल यानी बीजाक्षर के साथ अवश्य करना चाहिए जिसके कारण कर्मो की निर्जरा होती है और पुण्य की प़ाप्ती होती है।अतः जीवन में सिद्वचक़ विधान अवश्य करना चाहिए वह भी मंडल विधान के साथ।