पूर्ण

पूर्ण को जाना नहीं जा सकता सिर्फ अनुभव किया जा सकता है जैसे पूरे चावलों को जानने चले (दबा-दबा कर देखा) तो चावल की जगह गूदा बन जायेगा।

मुनि श्री सुधासागर जी

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6 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने पूर्ण की परिभाषा दी गई है वह पूर्ण सत्य है! उपरोक्त कथन भी सत्य है कि हर जीव में पूर्णता अनुभव करना मुश्किल होता है! अतः जीवन में पूर्णता तो भगवान में ही नजर आती है, क्योंकि उनके द्वारा सम्पूर्ण बुराईयां समाप्त करके बने हैं!

    1. अपूर्ण यदि पूर्ण को जानने की कोशिश करेगा तो चावलों का गूदा बन जायेगा। क्षमता के अनुसार ही काम करना चाहिए।

  2. Is context me, ‘चावलों का गूदा बन जायेगा’ ka meaning aur clear karenge, please ?

    1. चावलों का गूदा यानी चावल का चावल न रह जाना/ बर्बाद हो जाना।

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