पूर्ण
पूर्ण को जाना नहीं जा सकता सिर्फ अनुभव किया जा सकता है जैसे पूरे चावलों को जानने चले (दबा-दबा कर देखा) तो चावल की जगह गूदा बन जायेगा।
मुनि श्री सुधासागर जी
पूर्ण को जाना नहीं जा सकता सिर्फ अनुभव किया जा सकता है जैसे पूरे चावलों को जानने चले (दबा-दबा कर देखा) तो चावल की जगह गूदा बन जायेगा।
मुनि श्री सुधासागर जी
6 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने पूर्ण की परिभाषा दी गई है वह पूर्ण सत्य है! उपरोक्त कथन भी सत्य है कि हर जीव में पूर्णता अनुभव करना मुश्किल होता है! अतः जीवन में पूर्णता तो भगवान में ही नजर आती है, क्योंकि उनके द्वारा सम्पूर्ण बुराईयां समाप्त करके बने हैं!
Agar ‘पूर्ण’ ko janane ki koshish ki, to kya hoga ?
अपूर्ण यदि पूर्ण को जानने की कोशिश करेगा तो चावलों का गूदा बन जायेगा। क्षमता के अनुसार ही काम करना चाहिए।
Is context me, ‘चावलों का गूदा बन जायेगा’ ka meaning aur clear karenge, please ?
चावलों का गूदा यानी चावल का चावल न रह जाना/ बर्बाद हो जाना।
Okay.