प्रथमानुयोग में उन शलाका पुरुषों की जीवनी है जो प्रथम थे जैसे तीर्थंकरादि ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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प़थमानुयोग— महापुरुष संबधी या त्रेसठ शलाका पुरूष संबध कथा रुप शास्त्र को कहते हैं।यह जिनवाणी का प़मुख अड़ृ है।यह कथा वास्तविक होती है, कल्पित नहीं होती है।इसमे जम्बूस्वामी-चारित्र, महापुराण आदि होते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि जीवन में प़थम पढ़ने के लिए होता है जो शलाका पुरुषो की जीवनी जो प़थम तीर्थकंर होते हैं।
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प़थमानुयोग— महापुरुष संबधी या त्रेसठ शलाका पुरूष संबध कथा रुप शास्त्र को कहते हैं।यह जिनवाणी का प़मुख अड़ृ है।यह कथा वास्तविक होती है, कल्पित नहीं होती है।इसमे जम्बूस्वामी-चारित्र, महापुराण आदि होते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि जीवन में प़थम पढ़ने के लिए होता है जो शलाका पुरुषो की जीवनी जो प़थम तीर्थकंर होते हैं।