प्रेम / मोह

प्रेम समरसता से साथ रहना,
मोह जिसके बिना न रहा जाय ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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4 Responses

  1. प़ेम-साधर्मी भाई जिसके के प़ति अनुराग होता है। अतः प़ेम समसरता के साथ रहना होता हैं लेकिन मोह जिसके बिना न रहा जाय।जीवन में मोह का त्याग करना चाहिए ताकि कल्याण हो ।

    1. सम = बराबर/न कोई छोटा न बड़ा/total same(एक गुस्सा करे तब दूसरा ठंडा)
      दोनों तरफ से बराबर रस बहे।

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