‘पर, विडम्बना यह है कि बंधन में आनंद लेने लगता है। तब तो रौद्रध्यान हो जायेगा (नरकायु बंध)।’ Isko example se explain karenge, please ? Reply
हम को बेटे/ परिवार के बंधनों में आनंद आता है। यह आनंद बंधन से ज्यादा खतरनाक है। तत्व ज्ञानी कर्तव्य करता है, उसमें आनंद नहीं मानता। Reply
बंधन के जो उदाहरण दिये गये हैं वह पूर्ण सत्य है। अतः श्रावक को बंधनों से मुक्त होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। Reply
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‘पर, विडम्बना यह है कि बंधन में आनंद लेने लगता है। तब तो रौद्रध्यान हो जायेगा (नरकायु बंध)।’ Isko example se explain karenge, please ?
हम को बेटे/ परिवार के बंधनों में आनंद आता है। यह आनंद बंधन से ज्यादा खतरनाक है। तत्व ज्ञानी कर्तव्य करता है, उसमें आनंद नहीं मानता।
बंधन के जो उदाहरण दिये गये हैं वह पूर्ण सत्य है। अतः श्रावक को बंधनों से मुक्त होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
Okay.