बोलना / सुनना
विकलेंद्रिय (2 से 4 इंद्रिय) वाले (बिना कान के कीड़े) बोलते रहते हैं, सुनते नहीं हैं ।
यदि हम भी बोलते अधिक हैं, सुनते कम या नहीं* हैं तो हममें और कीड़ों में क्या फर्क रहा !
आचार्य श्री विद्यासागर जी
*अच्छी/हितकारी/गुरू/भगवान की वाणी
विकलेंद्रिय (2 से 4 इंद्रिय) वाले (बिना कान के कीड़े) बोलते रहते हैं, सुनते नहीं हैं ।
यदि हम भी बोलते अधिक हैं, सुनते कम या नहीं* हैं तो हममें और कीड़ों में क्या फर्क रहा !
आचार्य श्री विद्यासागर जी
*अच्छी/हितकारी/गुरू/भगवान की वाणी
One Response
विकलेन्द्रिय- -दो इन्द्रिय, तीन इन्द़िय और चार इन्द़ियो जीवों को विकलेन्द्रिय कहते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि विकलेन्द्रिय जीव बोलते रहते हैं लेकिन सुनते नहीं है।हम लोग ज्यादा बोलते हैं एवं कम सुनते हैं तब हममें और कीड़ों में फर्क क्या हैं।इसका मतलब यह है कि सुनते हैं लेकिन उसका पालन नहीं करते हैं। जीवन में अच्छा होता कि हितकारी, गुरु और भगवान् की वाणी को सुनकर उनका पालन करने पर उसका कल्याण हो सकता है।अन्यथा वह विकलेन्द्रिय ही बने रहेंगे।