हम भगवान के अंश नहीं हैं, ना ही भगवान के बाइ-प्राॅडक्ट हैं। बल्कि भगवान बनने का जो कच्चामाल होता है, वह हैं ।
बस, परिष्कार करना है, सांचे में ढालना है, ख़ुद भगवान बन जायेंगे ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि हम भगवान् के अंश नहीं हैं,ना ही भगवान के द्वारा बनाए गए हैं, बल्कि भगवान् बनने के रो मटेरियल हैं यानी आत्मा हैं, जो शुद्ध हो सकती है । विशुद्ध, पवित्र सांचे में ढालना पड़ता है,तब खुद भगवान् बन जायेंगे। अतः आत्मा को परमात्मा बनाने की योग्यता रखते हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि हम भगवान् के अंश नहीं हैं,ना ही भगवान के द्वारा बनाए गए हैं, बल्कि भगवान् बनने के रो मटेरियल हैं यानी आत्मा हैं, जो शुद्ध हो सकती है । विशुद्ध, पवित्र सांचे में ढालना पड़ता है,तब खुद भगवान् बन जायेंगे। अतः आत्मा को परमात्मा बनाने की योग्यता रखते हैं।