भरत और कैकयी को सम्यग्दर्शन

भरत व कैकयी को सम्यग्दर्शन तो पहले से था,
पर मुनि और आर्यिका दीक्षा लेने पर वह सम्यग्दर्शन निर्मल या परम सम्यग्दर्शन हो गया ।
क्योंकि चारित्र के बिना सम्यग्दर्शन, परम सम्यग्दर्शन नहीं कहा जा सकता ।

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