भाग्य

भाग्य के प्रकार –>
1. सौभाग्य – श्रावक (अच्छे परिवार में जन्मा)।
2. अहोभाग्य – श्रमण (मुनि/ साधु), जिन्होंने सौभाग्य को Encash कर लिया।
3. दुर्भाग्य – श्रावक/ श्रमण Encash न कर पायें ।

मुनि श्री मंगलानंद सागर जी

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One Response

  1. मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने भाग्य के प़कार को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है । अतः जीवन में अहोभाग्य बनने का प़यास करना परम आवश्यक है।

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