भाव/द्रव्य इन्द्रि

भाव-इन्द्रि… मति ज्ञानावरण के क्षयोपशम से,
द्रव्य-इन्द्रि… शरीर नामकर्म/ जातिकर्म के उदय से।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. मुनि महाराज जी ने भाव एवं द़व्य इन्द़ि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!

  2. ‘भाव-इन्द्रि… मति ज्ञानावरण के क्षयोपशम से’ ka example de sakte hain, please ?

    1. मन और इंद्रियों की क्षमता अलग-अलग जीवों में अलग-अलग मतिज्ञानावरण के क्षयोपशम से ही तो होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 16, 2023

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031