भेद-विज्ञान
भेद-विज्ञान श्रद्धा तथा ज्ञान से नहीं होता बल्कि प्रज्ञा से होता है।
जैसे दूध में से घी को अलग करना सिर्फ ज्ञान से नहीं विधिवत क्रिया से होता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
भेद-विज्ञान श्रद्धा तथा ज्ञान से नहीं होता बल्कि प्रज्ञा से होता है।
जैसे दूध में से घी को अलग करना सिर्फ ज्ञान से नहीं विधिवत क्रिया से होता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
9 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने भेद विज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन के कल्याण के लिए भेद विज्ञान पर श्रद्धान करके उसको जानना परम आवश्यक है!
‘प्रज्ञा’ ka kya meaning hai, please ?
विवेक पूर्वक ज्ञान का उपयोग।
प्रज्ञा मतिज्ञानावरण कर्म का कारण है ?
प्रज्ञा, मतिज्ञानावरण का कारण नहीं, क्षयोपशम का कारण है।
Jai jinedra
Lekin, ‘प्रज्ञा’ ke liye kya ‘श्रद्धा’ ki jaroorat nahi hai ?
यहाँ पर प्रज्ञा से स.चारित्र लेना।
Okay.