मंदिर/तीर्थ सीढ़ियाँ चढ़कर ही क्यों बनाये जाते हैं ?
ताकि एक-एक सीढ़ी चढ़ते हुये महसूस करें…
1. बुराई/कमज़ोरियों से ऊपर उठ रहे हैं।
2. विशुद्धता बढ़ रही है।
3. भगवान के पास/भगवान जैसा बनने के लिये पुरुषार्थ करना होता है। वह भी Step by Step.
(डॉ.पी.एन.जैन)
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उपरोक्त कथन सत्य है कि मंदिर एवं तीर्थ सीढियों चढ़कर बनाये जाते हैं, क्योंकि बुराई एवं कमजोरीओं से ऊपर उठ रहे हैं, बिशुद्वता बढ रही है, यह कथन भी सत्य है कि भगवान के पास जाने यानी भगवान बनने के लिए पुरुषार्थ करना होता है ! अतः जीवन के कल्याण के लिए कोई भी काम लौकिक हो या परमार्थिक हो एक एक सीढी चढकर पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि मंदिर एवं तीर्थ सीढियों चढ़कर बनाये जाते हैं, क्योंकि बुराई एवं कमजोरीओं से ऊपर उठ रहे हैं, बिशुद्वता बढ रही है, यह कथन भी सत्य है कि भगवान के पास जाने यानी भगवान बनने के लिए पुरुषार्थ करना होता है ! अतः जीवन के कल्याण के लिए कोई भी काम लौकिक हो या परमार्थिक हो एक एक सीढी चढकर पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है!