मनुष्य पर्याय

शिष्य ने गुरू को सोने का पात्र दिया, उन्होंने उसके बदले मिट्टी का पात्र वापस कर दिया ।
उसने बाहर आकर देखा कि उसका घोड़ा गायब है और उसकी जगह गधा बंधा है ।

गुरू इशारा कर रहे थे – सोने सी मनुष्य पर्याय क्यों मिट्टी कर रहे हो तथा तीर्थ करने वाले हे घोड़े !!
क्यों गधे जैसे बन रहे हो ।

मुनि श्री मंगलानंद जी

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