मन का स्वभाव है – कान पकड़ कर काम कराना, इसलिये मन, कान वालों (संज्ञी) के ही होता है ।
चिंतन
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मन- – नाना प्रकार के विकल्प जाल को कहते हैं, अथवा गुण,दोष व विचार और स्मरण आदि करना,यह मन का कार्य है। संज्ञी- – मन वाले जीव कहलाते हैं अथवा जो जीव मन के आलम्वन से शिक्षा, क़िया, उपदेश और अलाप को ग़हण करता है। अतः यह कथन सत्य है कि मन का स्वभाव है कि कान पकड़कर काम कराना, इसलिए मन,कान वालों के/ संज्ञी के ही होता है। जीवन में मन को सन्तुलन करना बहुत आवश्यक है ताकि कल्याण हो सकता है।
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मन- – नाना प्रकार के विकल्प जाल को कहते हैं, अथवा गुण,दोष व विचार और स्मरण आदि करना,यह मन का कार्य है। संज्ञी- – मन वाले जीव कहलाते हैं अथवा जो जीव मन के आलम्वन से शिक्षा, क़िया, उपदेश और अलाप को ग़हण करता है। अतः यह कथन सत्य है कि मन का स्वभाव है कि कान पकड़कर काम कराना, इसलिए मन,कान वालों के/ संज्ञी के ही होता है। जीवन में मन को सन्तुलन करना बहुत आवश्यक है ताकि कल्याण हो सकता है।