मन पौद्गलिक है। इसलिये मन पर पौद्गलिक बेहोशी की दवा/नशीले पदार्थ/शब्दों – अच्छे, बुरे/सपनों का प्रभाव होता है।
मनोवर्गणायें कमज़ोर होने पर गुरुवचन/मनोवैज्ञानिकों के Motivation, उन्हें द्रढ़ करते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मन का मतलब नाना प्रकार के विकल्प जाल को कहते हैं, अथवा गुण दोष व विचार व स्मरण आदि के कार्य मन का ही होता है,यह दो प़कार के हैं, द़व्य एवं भाव मन। उपरोक्त उदाहरण जो मुनि महाराज ने दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में मन को नियंत्रित रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मन का मतलब नाना प्रकार के विकल्प जाल को कहते हैं, अथवा गुण दोष व विचार व स्मरण आदि के कार्य मन का ही होता है,यह दो प़कार के हैं, द़व्य एवं भाव मन। उपरोक्त उदाहरण जो मुनि महाराज ने दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में मन को नियंत्रित रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।