मूर्ति पर चमक की वज़ह से नज़र टिकती नहीं, इस वज़ह से पत्थर की मूर्तियों में प्राय: अतिशय अधिक पायी जाती है ।
2) पत्थर की मूर्तियों के सजीव होने की संभावना भी रहती है, धातु की में नहीं(पिघलाने की वज़ह से) ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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यह कथन सत्य है कि मूर्ति की चमक होने के कारण उन पर नज़र टिकती नहीं है।पाषाण की मूर्ति होने पर ही नज़र टिकायू रहती है।भूतकाल में मूर्तिया पत्थर की निर्मित होती थी जो आज भी सुरक्षित हैं और उस पर नज़र भी उसी पर रहती है।आजकल मूर्तियां धातू की बन रही है, जिनमे चमक होती है लेकिन नज़र टिक नहीं पाती है।अतः पत्थर की मूर्तियों में ही अतिशय अधिक होता है।
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यह कथन सत्य है कि मूर्ति की चमक होने के कारण उन पर नज़र टिकती नहीं है।पाषाण की मूर्ति होने पर ही नज़र टिकायू रहती है।भूतकाल में मूर्तिया पत्थर की निर्मित होती थी जो आज भी सुरक्षित हैं और उस पर नज़र भी उसी पर रहती है।आजकल मूर्तियां धातू की बन रही है, जिनमे चमक होती है लेकिन नज़र टिक नहीं पाती है।अतः पत्थर की मूर्तियों में ही अतिशय अधिक होता है।