मोह/प्रार्थना
मैत्री जब बंध जाती है तब मोह बन जाती है ।
जब अबंध होकर, लोक में फैल जाती है तब भगवान की प्रार्थना बन जाती है ।
श्रीमति शर्मा
मैत्री जब बंध जाती है तब मोह बन जाती है ।
जब अबंध होकर, लोक में फैल जाती है तब भगवान की प्रार्थना बन जाती है ।
श्रीमति शर्मा