यथासंभव

जार्ज वर्नाड़ शा के भाषण समाप्त होने पर, एक महिला ने आकर भाषण को सराहा पर शिकायत की – आप बीच बीच में अपनी पेंट को बार बार ऊपर कर रहे थे, वह बहुत बेहूदा लग रहा था ।
जार्ज वर्नाड़ शा – यदि पेंट को ऊपर नहीं करता तो और भी बेहूदा दिखता ।

(ड़ा. एस. एम. जैन)

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