शास्त्रों/श्रावकाचारों में रसी का कथन नहीं है ।
लगता है व्रतियों को आहार कराने में रसी के नियम सुविधा देते हैं, जैसे रविवार को भोजन बिना नमक का बनेगा, व्रती आ जायेगा तो उसके नमक का त्याग, बिना अतिरिक्त आरम्भ केे निभ जायेगा ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
उक्त कथन सत्य है कि व़तीयों को आहार कराने में रसी के नियम की सुविधा देते हैं जेसे रविवार को भोजन बिना नमक का होना चाहिए,इसी प्रकार सप्ताह में अन्य रसीयो को आहार में त्याग करना चाहिए क्योंकि इस नियमों के त्याग से निरन्तर पवित्रता बढ़ सकती हैं। नियमों को लेना भी तप का रुप है, जिससे कर्मों का काटना होगा।
यदि निर्धारित वारों(रविवार आदि) पर सब एक जैसी रसी नहीं करेंगे तो तुम रविवार को बिना मीठे का भोजन बनाओगी और मेरे आने पर बिना नमक का बनाने में अतिरिक्त आरम्भ होगा न !
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उक्त कथन सत्य है कि व़तीयों को आहार कराने में रसी के नियम की सुविधा देते हैं जेसे रविवार को भोजन बिना नमक का होना चाहिए,इसी प्रकार सप्ताह में अन्य रसीयो को आहार में त्याग करना चाहिए क्योंकि इस नियमों के त्याग से निरन्तर पवित्रता बढ़ सकती हैं। नियमों को लेना भी तप का रुप है, जिससे कर्मों का काटना होगा।
“अतिरिक्त आरम्भ” ka kya meaning hai, please?
यदि निर्धारित वारों(रविवार आदि) पर सब एक जैसी रसी नहीं करेंगे तो तुम रविवार को बिना मीठे का भोजन बनाओगी और मेरे आने पर बिना नमक का बनाने में अतिरिक्त आरम्भ होगा न !
Okay.