रूप

पुत्र कागज़ पर लिखा…शब्दरूप;
सामने खड़ा……………द्रव्य रूप।
इससे काम नहीं चलेगा। जब उसे “ज्ञान रूप” मानोगे तब भला होगा।

ऐसे ही आत्मा को शब्द, द्रव्य रूप मानने से काम नहीं होगा, ज्ञान रूप मानने/ जानने से कल्याण होगा।

क्षुल्लक श्री सहजानंद वर्णी जी

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4 Responses

  1. क्षुल्लक जी ने रूप का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए ज्ञान रुप होना परम आवश्यक है।

  2. ‘जब उसे “ज्ञान रूप” मानोगे तब भला होगा।’ Iska meaning clarify karenge, please ?

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