लौकांतिक देव को श्रुत केवली नहीं कह सकते हैं। ये पढ़ा नहीं सकते बस द्वादशांग के पाठी हैं।
ज्ञान का क्षयोपशम होता है पर अंतिम क्षयोपशम (संयम का) नहीं होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 33)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने लोकांतिक देव को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने लोकांतिक देव को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।