विक्रिया / वैक्रियक शरीर
विक्रिया में वैक्रियक शरीर नहीं बनता क्योंकि विक्रिया करने वाला औदारिक शरीर है, इसलिए विक्रिया में वैक्रियक वर्गणायें ग्रहण नहीं करता, ना ही अपर्याप्तक अवस्था होती है और वैक्रियक मिश्र काय योग भी नहीं होता।
विक्रिया वाले शरीर में धातु होती हैं जबकि वैक्रियक शरीर में नहीं होतीं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड – गाथा 234)
9 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने विक़िया एवं वैक़ियक शरीर की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
That means ‘विक्रिया’ में koi bhi ‘शरीर’ na maane ?
औदारिक शरीर का एक शक्ति पुंज मानें जैसे जादूगर की जादूगरी।
Okay.
Tab phir wo औदारिक शरीर ki वर्गणायें kyun nahi ग्रहण करता ? Ise clarify karenge, please ?
औदारिक वर्गणायें ग्रहण करेगा ही।
To phir is statement I.e. ‘विक्रिया करने वाला औदारिक शरीर, वैक्रियक वर्गणायें ग्रहण नहीं करता’ ko clarify karenge, please ?
चूंकि यह विक्रिया औदारिक शरीर से ही हो रही है इसलिए उसको शक्ति भी औदारिक शरीर/ वर्गणाओं से मिलती है।
It is now clear to me.