चक्रवर्ती मलेच्छखंड़ से जो रानियाँ लाता था, उनके यहाँ कोई धर्म होता ही नहीं था, इसलिये विजातीय नहीं कह सकते।
इसलिये यहाँ के धर्म में रंगने/लीन होने में उन्हें दुविधा नहीं होती थी ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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महाराज जी कथन सत्य है कि जैन धर्म के अनुसार विजातीय विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि उनमें टकराव हो जाता है और अलग-अलग रहने के लिए अदालत में चक्कर काटने पड़ते हैं। महाराज जी का कथन सत्य है कि चक्रवर्ती म्लेच्छखंड से जो रानियों को लाता था, उनके यहां कोई धर्म नहीं होता था इसलिए उसे विजातीय नहीं कह सकते हैं। आजकल विजातीय विवाह करने पर तलाक़ लेना पड़ता है, इससे बचना परम आवश्यक है।
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महाराज जी कथन सत्य है कि जैन धर्म के अनुसार विजातीय विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि उनमें टकराव हो जाता है और अलग-अलग रहने के लिए अदालत में चक्कर काटने पड़ते हैं। महाराज जी का कथन सत्य है कि चक्रवर्ती म्लेच्छखंड से जो रानियों को लाता था, उनके यहां कोई धर्म नहीं होता था इसलिए उसे विजातीय नहीं कह सकते हैं। आजकल विजातीय विवाह करने पर तलाक़ लेना पड़ता है, इससे बचना परम आवश्यक है।