प्राय: विनय को तप नहीं स्वीकारते, जबकि यह अभ्यंतर – तप में आता है।
विनय के बिना सब व्यर्थ है।
इससे असाध्य कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि प़ायः विनय को तप नहीं स्वीकारते, जबकि यह अभ्यंतर तप में आता है, विनय के बिना सब व्यर्थ है! विनय से असाध्य कार्य भी सिद्व हो जाते हैं! अतः जीवन के कल्याण के लिए विनय को अपनाना परम आवश्यक है!
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि प़ायः विनय को तप नहीं स्वीकारते, जबकि यह अभ्यंतर तप में आता है, विनय के बिना सब व्यर्थ है! विनय से असाध्य कार्य भी सिद्व हो जाते हैं! अतः जीवन के कल्याण के लिए विनय को अपनाना परम आवश्यक है!