वेदक = अनुभव करने वाला।
किसका ?
सम्यक् प्रकृति का।
वेदक सम्यग्दर्शन: दोष सहित, अगाढ़। जैसे लाठी यदि ज़मीन में गढ़ी नहीं है, बस, ज़मीन पर टिकी भर है, तो हिलती रहती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड: गाथा– 649)
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2 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने वेदक सम्यग्दर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने वेदक सम्यग्दर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
Beautiful explanation ! Namostu Gurudev !