वैराग्य में घर छोड़ा नहीं जाता। घर छूटता भी नहीं; अपने घर में आया जाता है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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वैराग्य का तात्पर्य आत्मा से परमात्मा बनने का प्रयास करना होता है। इसमें आत्मसाधना के लिए दिगम्बरत्व होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि वैराग्य में घर छोड़ा नहीं जाता है, बल्कि अपनी आत्मा में डूबना पड़ता है ताकि आत्मसाधना करने में समर्थ हो सकते हैं।
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वैराग्य का तात्पर्य आत्मा से परमात्मा बनने का प्रयास करना होता है। इसमें आत्मसाधना के लिए दिगम्बरत्व होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि वैराग्य में घर छोड़ा नहीं जाता है, बल्कि अपनी आत्मा में डूबना पड़ता है ताकि आत्मसाधना करने में समर्थ हो सकते हैं।