व्यवहार-नय

क्या जिनेन्द्र देव ने व्यवहार-नय का वर्णन किया है ?
वर्णन तो व्यवहार-नय से ही होता है ।

ज्ञानशाला

Share this on...

4 Responses

  1. नय—वस्तु के अनेक धर्मों का क्षय रुप से कथन करने की पद्धति को नय कहते हैं। नय दो प्रकार के होते हैं निश्चय और व्यवहार नय। व्यवहार नय—संग़ह-नय के द्वारा किए गए पदार्थो का विधि पूर्वक भेद करना व्यवहार नय है। अतः इससे प़तीत होता है कि जिनेन्द्र देव ने व्यवहार नय का वर्णन किया है लेकिन वर्णन तो व्यवहार नय से ही होता है।

    1. “वर्णन” तो व्यवहार का ही विषय होता है,
      निश्चय में तो शांत रहा जाता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

September 21, 2019

October 2024
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031