1400-1500 साल पहले श्री राजवार्तिक में आचार्य श्री अकलंकदेव ने कहा था कि शब्द पौदगलिक/ मूर्तिक हैं, उन्हें संग्रह किया जा सकता है। आज वही हो रहा है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शब्द को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शब्द को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।