जीव क्रियावान, पुद्गल भी क्रियावान क्योंकि उसमें अणु से स्कंध तथा स्कंध से अणु बनते रहते हैं। इसीलिये दोनों अशुद्ध। बाकी चारों द्रव्य क्रियावान नहीं क्योंकि वे शुद्ध हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र 5/11)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शुद्ध एवं अशुद्ध द़व्य को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शुद्ध एवं अशुद्ध द़व्य को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।