समझ में आना कठिन है।
जिनवाणी/आगम पर विश्वास करके बस इतना समझें – लगातार…अनंत/असंख्यात/संख्यात हानि/वृद्धि, व्यय/उत्पाद।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि षटगुणी हानि एवं वृद्वी का समझना मुश्किल होता है, इसके समझने कि लिए जिनवाणी एवं आगम पर विश्वास करके समझ सकते हैं , क्योंकि लगातार, अनन्त,असंख्यात,संख्यात,हानि, वृद्धि,व्यय और उत्पाद। अतः जीवन में जिनवाणी एवं आगम पर श्रद्वान एवं विश्वास करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि षटगुणी हानि एवं वृद्वी का समझना मुश्किल होता है, इसके समझने कि लिए जिनवाणी एवं आगम पर विश्वास करके समझ सकते हैं , क्योंकि लगातार, अनन्त,असंख्यात,संख्यात,हानि, वृद्धि,व्यय और उत्पाद। अतः जीवन में जिनवाणी एवं आगम पर श्रद्वान एवं विश्वास करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।