सम्बंध कांच जैसे होना चाहिये –
1. सावधानी जैसे कांच के बर्तनों के साथ रखते हैं
2. पारदर्शिता
3. टूटने पर ताप देकर नया बनाया जा सकता है; सम्बंधों को क्षमा/प्रायश्चित के ताप से नया बनाया जा सकता है।
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सम्बंध का तात्पर्य प़गाण प्रेम होना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्बन्ध कांच जैसे से होना चाहिए,
1 सावधानी कांच के बर्तनों के साथ रखते हैं,
2 इसमें पारदर्शिता,
3 टूटने पर ताप देकर बनाया जा सकता है।
अतः सम्बन्धों को क्षमा एवं प्रायश्चित के ताप से नया बनाया जा सकता है। जीवन में सम्बन्ध दूध और जल की तरह होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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सम्बंध का तात्पर्य प़गाण प्रेम होना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्बन्ध कांच जैसे से होना चाहिए,
1 सावधानी कांच के बर्तनों के साथ रखते हैं,
2 इसमें पारदर्शिता,
3 टूटने पर ताप देकर बनाया जा सकता है।
अतः सम्बन्धों को क्षमा एवं प्रायश्चित के ताप से नया बनाया जा सकता है। जीवन में सम्बन्ध दूध और जल की तरह होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।