सम्यग्दृष्टी जीव च्यवनप्राश को मीठा नहीं, दवा के तौर पर लेता है, ऐसे ही भोगविलास को ।
उसके शीलव्रत नहीं होते (चौथे गुणस्थान में), बस कुलाचार होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
यह कथन सत्य है कि जो सम्यग्दृष्टि जीव होता है च्यवनप़ास को मीठा नहीं मानता है बल्कि वह दवा के रुप मे लेता है,
इसी प्रकार भोगविलास को मानता है।यह भी सही है कि जब तक शीलव़त नही लेते हैं तब तक कुलाचार ही कहलायेगा।
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यह कथन सत्य है कि जो सम्यग्दृष्टि जीव होता है च्यवनप़ास को मीठा नहीं मानता है बल्कि वह दवा के रुप मे लेता है,
इसी प्रकार भोगविलास को मानता है।यह भी सही है कि जब तक शीलव़त नही लेते हैं तब तक कुलाचार ही कहलायेगा।
“शीलव्रत” aur “कुलाचार” mein, kya difference hota hai?
5अणुव्रत + 4शिक्षाव्रत + 3गुणव्रत = 12शीलव्रत हैं, इनका कुलाचार से कोई संबंध नहीं है ।
कुलाचार = अपने-अपने कुल के अच्छे आचरण ।
Okay.