निरपेक्ष समझ –> सम्यग्दर्शन।
सापेक्ष समझ –> मिथ्यादर्शन।
इंद्रिय सापेक्ष जैसे शिखर जी की वंदना में पहले मोटे कपड़े प्रियकर, बाद में बोझ।
यानी सुख दुःख बौद्धिक स्तर पर है।
ब्र. डॉ. नीलेश भैया
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4 Responses
सम्यग्दर्शन एवं मिथ्यादर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मिथ्यादर्शन से पहले स.दर्शन परम आवश्यक है।
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सम्यग्दर्शन एवं मिथ्यादर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मिथ्यादर्शन से पहले स.दर्शन परम आवश्यक है।
‘यानी सुख दुःख बौद्धिक स्तर पर है।’ Is sentence to thoda aur clarify karenge, please ?
वुलन कपड़े शिखर जी में चढ़ते समय अच्छे लग रहे थे पर थोड़ी चढ़ाई के बाद वही कपड़े बुरे लगने लगे।
यह बौद्धिक स्तर पर सुख-दुःख हुआ या नहीं !
Okay.