सम्यग्दर्शन
रत्नकरण्ड श्रावकाचार…. सच्चे देव, गुरु, शास्त्र पर श्रद्धा।
तत्त्वार्थ सूत्र आदि…. तत्त्वों पर श्रद्धा।
7 तत्व में देव, गुरु, शास्त्र समाहित हैं….
अरहंत/ सिद्ध मोक्ष रूप।
मोक्ष जीव को।
कैसे ?
अजीव के छूटने से।
गुरु को देखकर संवर, निर्जरा का अहसास/ ज्ञान,
पहले उनके आस्रव/बंध भी था।
शास्त्र में तो सब कुछ मिलेगा ही।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी ने सम्यग्दर्शन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! सम्यग्दर्शन तभी सम्भव है जब देव, शास्त्र, गुरु पर अटल श्रद्वान हो!