साथ
सुख के लम्हें तक पहुंचते-पहुंचते ही हम उन लोगों से जुदा हो जाते हैं,
जिनके साथ हमने दुःख झेलकर सुख़ का सपना देखा था।
(सुरेश)
सुख के लम्हें तक पहुंचते-पहुंचते ही हम उन लोगों से जुदा हो जाते हैं,
जिनके साथ हमने दुःख झेलकर सुख़ का सपना देखा था।
(सुरेश)
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में सुख दुःख में साथ रहना ही सार्थक है। एक दूसरे के साथ रहना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।