समवसरण जैसे पवित्र वातावरण तथा भगवान की उपस्थिति में भी स्त्री/पुरुष, साधु/साध्वियों, देव/देवियों के कोठे अलग अलग होते हैं ।
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समवशरण– तीर्थंकर की धर्म सभा को कहते हैं। यहां समस्त स्त्री पुरुष पशु पक्षी और देवी देवता समान भाव से भगवान् का उपदेश सुनते हैं यहां सभी भव्य जीव तीर्थंकर की दिव्यध्वनि के अवसर की प्रतीक्षा करते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि समवशरण जैसे पवित्र वातावरण तथा भगवान की उपस्थिति में भी स्त्री, पुरुष, साधु और साध्वियों,देव और देवियों के कोठे भी अलग-अलग होते हैं।
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समवशरण– तीर्थंकर की धर्म सभा को कहते हैं। यहां समस्त स्त्री पुरुष पशु पक्षी और देवी देवता समान भाव से भगवान् का उपदेश सुनते हैं यहां सभी भव्य जीव तीर्थंकर की दिव्यध्वनि के अवसर की प्रतीक्षा करते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि समवशरण जैसे पवित्र वातावरण तथा भगवान की उपस्थिति में भी स्त्री, पुरुष, साधु और साध्वियों,देव और देवियों के कोठे भी अलग-अलग होते हैं।