भोग → प्रति समय आत्मा में ज्ञान/ चैतन्य भाव। उपभोग → वही रस बार-बार समयों में भोगना। जैसे अनार रस पहले घूँट में भोग, बार-बार भोगना उपभोग।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- 2/5)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सिद्धों में भोगादि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘बार-बार समयों में भोगना’ ka meaning clarify karenge, please ?
जैसे शरबत को थोड़े-थोड़े से समय के बाद Sip कर कर के उपभोग करना ।
Okay.
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4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सिद्धों में भोगादि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘बार-बार समयों में भोगना’ ka meaning clarify karenge, please ?
जैसे शरबत को थोड़े-थोड़े से समय के बाद Sip कर कर के उपभोग करना ।
Okay.