सिद्ध

सिद्ध में न मार्गणा ना ही गुणस्थान, उनके न संयम होता है ना ही असंयम, क्योंकि वे साधना से रहित हो गये हैं।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा– 690)

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4 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सिद्ध का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

    1. मार्गणा = खोजना
      जैसे इंद्रिय, वेद, कषाय, लेश्या, संज्ञी आदि।

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