समस्या आने पर “ॐ सिद्धाय नमः” या “ॐ अर्हम नमः” का बार-बार चिंतन करें। क्योंकि उन्होंने अव्याबाध सुख प्राप्त कर लिया है यानी बाधा रहित।
ऐसे ही शील की रक्षा के लिये भी सिद्ध भगवान का स्मरण क्योंकि 18 हजार दोष रहित पूर्णता से सिद्धों के ही होते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सिद्ध को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सिद्ध को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।