सुख/दु:ख, ज्ञान से ही होता है, जैसे चोरी हो गई रात को, पता चला सुबह, दु:ख कब से ?
सोते में मुँह में मिश्री डाल दी, आनंद कब आया ?
जब जागे, तब ज्ञान हुआ ।
(पागल को सुख/दु:ख की अनुभूति कम होती है)
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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सुख का मतलब आनन्द होता है जबकि दुःख का मतलब पीड़ा रुप आत्मा का परिणाम होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि सुख एवं दुःख, ज्ञान से ही होता है जबकि पागल को ज्ञान न होने के कारण उसकी अनुभूति कम होती है। यह सुख दुःख क्षणिक होते हैं। अतः जिसको आत्म ज्ञान होता है उसको स्थायत्व होगा।
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सुख का मतलब आनन्द होता है जबकि दुःख का मतलब पीड़ा रुप आत्मा का परिणाम होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि सुख एवं दुःख, ज्ञान से ही होता है जबकि पागल को ज्ञान न होने के कारण उसकी अनुभूति कम होती है। यह सुख दुःख क्षणिक होते हैं। अतः जिसको आत्म ज्ञान होता है उसको स्थायत्व होगा।