सुख / शांति
जितनी उपेक्षा करोगे उतनी सुख,शांति पाओगे ।
इसका अर्थ यह नहीं कि घर वालों से संबंध ही छोड़ दें, उनसे बस मोह कम कर दें/ उनसे मूर्च्छा न रखें ।
क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी
जितनी उपेक्षा करोगे उतनी सुख,शांति पाओगे ।
इसका अर्थ यह नहीं कि घर वालों से संबंध ही छोड़ दें, उनसे बस मोह कम कर दें/ उनसे मूर्च्छा न रखें ।
क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी