सूतक

जन्म/ मरण में अच्छा/ बुरा लगने से सूतक लगता है।
अच्छा/ बुरा लगने से सुख/ दु:ख होता है। सुखी/ दु:खी होने से शरीर में रिसाव होता है जैसे स्वादिष्ट पदार्थ की याद आते ही मुंह में पानी/ रिसाव आने लगता है। रिसाव से शरीर में अपवित्रता होती है, इसलिये भी सूतक लगता है।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने सूतक को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में सूतक को नियमानुसार मानना परम आवश्यक है।

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