सीप में पैदा हुआ मोती, हार/भगवान के लिये प्रयोग होता है,
जन्म-दात्री सीप नहीं !
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प़त्येक जीव में आत्मा यानी चेतना होती है,जो भगवान् बन सकती हैं। आत्मा के गुणों के आधार पर ही भगवान बन सकता है।
अतः स्वयं के गुणों को आत्मसात करना चाहिए।
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प़त्येक जीव में आत्मा यानी चेतना होती है,जो भगवान् बन सकती हैं। आत्मा के गुणों के आधार पर ही भगवान बन सकता है।
अतः स्वयं के गुणों को आत्मसात करना चाहिए।
Can its meaning be explained please?
जन्म देने वाली (माँ/ सीप) को बड़ा माना जाता है,
पर मोती के स्वयं के विशेष गुण के कारण उसे हार में सम्मान मिलता है और सीप हार जाती है ।
Okay.