सम्यग्दृष्टि को स्वर्ग/ नरक में फर्क नहीं लगता….
स्वर्ग में राग व हास्य नोकषाय,
नरक में द्वेष व शोक नोकषाय रहती हैं।
(सम्यग्दृष्टि को तो दोनों परिस्थितियों में समता रखने के लिये पुरुषार्थ करना होता है)
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का स्वर्ग व नरक का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में स्वर्ग नरक जाने में कुछ नहीं रखा है, अतः जीवन में रत्नत्रय बन कर मोक्ष जाने का प़यास करना चाहिए ताकि संसार में नहीं आना पडेगा!
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का स्वर्ग व नरक का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में स्वर्ग नरक जाने में कुछ नहीं रखा है, अतः जीवन में रत्नत्रय बन कर मोक्ष जाने का प़यास करना चाहिए ताकि संसार में नहीं आना पडेगा!
‘हास्य’ aur ‘शोक’,’कषाय’ hain ya ‘अकषाय’ ?
नोकषाय भी तो कषाय का ही भेद है।
फ़िर भी सुधार दिया है।
Okay.