स्वाध्याय
“स्वस्थ अध्यायः स्वाध्यायः”
ऐसा शास्त्र पठन जिससे निजी आत्मतत्व पुष्ट/ विकसित होता हो, वह स्वाध्याय है।
मात्र लिखना/ पढ़ना स्वाध्याय नहीं बल्कि आलस्य/ असावधानी के त्याग को स्वाध्याय कहते हैं।
गुरु निर्देश में किया गया स्वाध्याय वैराग्य का फल प्रदान कर पर्त दर पर्त चेतना का शोधन करता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने स्वाध्याय का उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है! उपरोक्त कथन सत्य है कि मात्र लिखना या पढना स्वाध्याय नहीं बल्कि आलस्य एवं असावधानी के त्याग को स्वाध्याय कहते हैं! अतः जीवन में स्वाध्याय से व्रतों को लेकर बैराग्य का मार्ग अपनाना ही कल्याण का मार्ग होगा!
‘पर्त दर पर्त चेतना का शोधन करता है’ ka kya meaning
hai, please ?
अनादि से चेतना के ऊपर पड़ीं मोह पर्तों को स्वाध्याय एक-एक करके हटाता जाता है।
Okay.