16वें स्वर्ग के ऊपर के तीनों स्वर्गों में ना तो देवीयाँ होती हैं ना ही छोटे देव, रोज़मर्रा के कामों में स्वावलम्बन ।
कोरोना के समय हमारी स्थिति भी उच्च श्रेणी के देवों जैसी ही है ना !
चिंतन
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स्वर्ग- -उर्धलोक में रहने वाले वैमानिक देव के निवास स्थान को स्वर्ग कहते हैं। देव जो सदा परमसुख में लीन रहते हैं या जो जन्म मरण रुप संसार से मुक्ति हो गये है वे देव कहलाते हैं या धर्म के विधाता हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि 16 वें स्वर्ग के ऊपर तीनों स्वर्गो में न तो देवियां होती हैं न ही छोटे देव लेकिन रोज़मर्रा के कामों में स्वावलम्बन होते हैं। अतः यह सत्य है कि कोराना के समय हमारी स्थिति भी उच्च श्रेणी देवों के समान ही है। आजकल हम लोग स्वावलम्बन के साथ धर्म ध्यान और सात्त्विक आहार भी लेते हैं जो उन देवताओं के समान जीवन जी रहे हैं।
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स्वर्ग- -उर्धलोक में रहने वाले वैमानिक देव के निवास स्थान को स्वर्ग कहते हैं। देव जो सदा परमसुख में लीन रहते हैं या जो जन्म मरण रुप संसार से मुक्ति हो गये है वे देव कहलाते हैं या धर्म के विधाता हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि 16 वें स्वर्ग के ऊपर तीनों स्वर्गो में न तो देवियां होती हैं न ही छोटे देव लेकिन रोज़मर्रा के कामों में स्वावलम्बन होते हैं। अतः यह सत्य है कि कोराना के समय हमारी स्थिति भी उच्च श्रेणी देवों के समान ही है। आजकल हम लोग स्वावलम्बन के साथ धर्म ध्यान और सात्त्विक आहार भी लेते हैं जो उन देवताओं के समान जीवन जी रहे हैं।